चना, मसूर एवं अरहर तेज, अन्य दालों के भाव स्थिर
गेहूं के दाम रुके, ग्वार गम एवं सीड में नरमी
नई दिल्ली। दिल्ली में चना की कीमतें आज भी 75 रुपये तेज खुली हैं। व्यापारियों के अनुसार स्टॉकिस्टों की खरीद से चना के दाम तेज बने हुए हैं, हालांकि बढ़े दाम पर मिलों की खरीद जरुर कम हुई है इसलिए मुनाफावसूली आ सकती है। हालांकि जिस तरह से उत्पादक राज्यों की मंडियों में चना की दैनिक आवक उम्मीद के अनुसार बढ़ नहीं पा रही, तथा चालू सीजन में उत्पादन अनुमान कम है उसे देखते हुए चना का भविष्य तो तेजी का ही है, लेकिन बाजार एकतरफा तेज नहीं होगा। ऑस्ट्रेलिया से चना के आयात पड़ते भी महंगे हैं। दिल्ली में राजस्थान के चना के दाम 75 रुपये बढ़कर 6,800 से 6,825 रुपये प्रति क्विंटल हो गए, इस दौरान मध्य प्रदेश के चना के दाम 75 रुपये बढ़कर 6,000 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। चना की दैनिक आवक 5 से 6 मोटरों की हुई।
सोलापुर में अरहर के भाव आज भी 100 रुपये तेज खुले हैं, क्योंकि कल लेमन अरहर की कीमतें डॉलर में 25 डॉलर तेज हुई थी। व्यापारियों के अनुसार चालू सप्ताह में चना की कीमतों मं एकतरफा तेजी आई है क्योंकि अरहर के आयात पड़ते महंगे हैं इसलिए आयातक दाम तेज कर रहे है, लेकिन बढ़े दाम पर मुनाफावसूली आ सकती है, क्योंकि सरकार दलहन की कीमतों की लगातार समीक्षा कर रही है। उधर म्यांमार से लेमन का आयात बराबर हो रहा है, साथ ही सूडान से नई अरहर की शिपमेंट भी आ रही। अरहर दाल में बढ़ी हुई कीमतों में खुदरा के साथ ही थोक में ग्राहकी सामान्य की तुलना में कमजोर ही है। इसलिए बढ़ी हुई कीमतों में मुनाफावसूली करते रहना चाहिए। दाल मिलर्स बढ़े दाम पर केवल जरुरत के हिसाब से ही खरीद कर रहे हैं। सोलापुर में अरहर के दाम 10,700 से 12,300 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।
आयातित उड़द की कीमतें डॉलर में चेन्नई में गुरुवार को भी तेज हुई थी, लेकिन आज दाम स्थिर हो गए। व्यापारियों के अनुसार उड़द के आयात पड़ते महंगे हुए हैं, इसलिए इसकी कीमतों में हल्का सुधार बन सकता है। हालांकि बड़ी तेजी के आसार कम है। उत्पादक मंडियों में समर उड़द की आवक बढ़ी है, जबकि उड़द दाल में थोक एवं खुदरा में मांग सामान्य की तुलना में कमजोर है इसलिए उड़द की कीमतों में एकतरफा बड़ी तेजी टिक नहीं पायेगी। वैसे भी उत्पादक मंडियों में समर उड़द की आवक चालू महीने में बढ़ेगी। केंद्र सरकार की सख्ती से उड़द की खरीद दाल मिलें केवल जरुरत के हिसाब से कर रही रही है। म्यांमार से उड़द का आयात बराबर बना रहेगा, साथ ही म्यांमार में उत्पादन अनुमान भी ज्यादा है। चेन्नई में उड़द एफएक्यू के दाम 1,085 डॉलर और एसक्यू के 1,180 डॉलर प्रति टन, सीएडंएफ पर स्थिर रहे।
मूंग के भाव उत्पादक मंडियों में आज स्थिर हो गए, जबकि पिछले दो दिनों से इसकी कीमतें तेज हुई थी, हालांकि व्यापारी एकतरफा बड़ी तेजी के पक्ष में नहीं है। व्यापारियों के अनुसार मूंग दाल में ग्राहकी कमजोर है इसलिए इसकी मौजूदा कीमतों में मुनाफावसूली आ सकती है। मध्य प्रदेश और गुजरात की मंडियों में समर मूंग की आवक शुरू हो गई है तथा मौसम अनुकूल रहा तो उत्पादक राज्यों की मंडियों में नई मूंग की दैनिक आवक पहले की तुलना में बढ़ेगी। चालू सीजन में समर में मूंग की बुआई बढ़ी है, जिस कारण उत्पादन अनुमान भी ज्यादा है। इसलिए इसके भाव में अभी बड़ी तेजी के आसार नहीं है। मध्य प्रदेश की मंडियों में समर मूंग की आवक बढ़ने लगी है। दिल्ली में मूंग के दाम 8,600 से 8,750 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए।
देसी मसूर के दाम दिल्ली में 25 रुपये तेज हो गए। व्यापारियों के अनुसार मध्य प्रदेश के साथ ही उत्तर प्रदेश में मसूर की मंडियों में मसूर की आवक पहले की तुलना में कम हुई है, साथ ही आयातित मसूर के पड़ते उंचे हैं। इसलिए हाल ही में इसके भाव में सुधार आया है। हालांकि इसकी कीमतों में अभी बड़ी तेजी के आसार नहीं है। वैसे भी चालू रबी में मसूर के रिकार्ड उत्पादन का अनुमान है। केंद्र सरकार दलहन की कीमतों की हर सप्ताह समीक्षा भी कर रही है।
केंद्रीय पूल में मसूर का पुराना स्टॉक भी अच्छा है। जानकारों के अनुसार मसूर दाल में खपत राज्यों बिहार, बंगाल एवं असम की मांग जून में सामान्य की तुलना में कम रहेगी। दिल्ली में देसी मसूर के दाम 6,550 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।
धान के साथ ही बासमती चावल की कीमतें स्थिर हो गई। जानकारों के अनुसार बासमती चावल में जहां निर्यात सीमित मात्रा में खरीद कर रहे हैं , वहीं बिकवाली भी कम आ रही है। इसलिए मौजूदा कीमतों में अब व्यापारी ज्यादा मंदे में नहीं है। गेहूं की सरकारी खरीद के कारण धान की आवक मंडियों में बंद है।
गेहूं के दाम लारेंस रोड पर 2,470 से 2,475 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर हो गए। उत्तर भारत के राज्यों में गेहूं की आवक पहले की तुलना में कम हुई है, साथ ही स्टॉकिस्टों की खरीद में भी कमी आई है। ऐसे में इसके भाव में हल्की नरमी और भी बन सकती है।
चालू रबी विपणन सीजन 2024-25 में प्रमुख उत्पादक राज्यों से 257.05 लाख टन गेहूं की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी पर हो चुकी है। उत्पादक मंडियों में गेहूं की दैनिक आवक घटकर सीमित मात्रा में ही हो रही हैं।
मक्का के भाव तेज हुए हैं, हालांकि व्यापारी ज्यादा तेजी में नहीं है। रबी मक्का की आवक मंडियों में लगातार बनी हुई है, इसलिए इसके भाव में बड़ी तेजी टिक नहीं पायेगी। सांगली में मक्का के बिल्टी भाव 2,425 से 2,500 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए।
बाजरा की कीमतें नरम हुई हैं। व्यापारियों के अनुसार बाजरा की आवक मंडियों में काफी कम हो रही है इसलिए ज्यादा मंदा नहीं आयेगा। पंजाब पहुंच बाजरा का व्यापार 2,375 रुपये प्रति क्विंटल की दर से हुआ।
जौ के भाव स्थिर हो गए। व्यापारियों के अनुसार उत्पादक मंडियों में जौ की आवकों में कमी आई है। उधर स्टॉकिस्ट एवं माल्ट कंपनियां खरीद कर रही हैं। इसलिए भाव में हल्का सुधार बन सकता है। उत्पादक मंडियों जौ के भाव 1800 से 2000 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं। जौ की कीमतों में आगे तेजी बनेगी।
चीनी की कीमतें स्थिर हो गई। व्यापारी अभी चीनी में ज्यादा मंदे में नहीं है, गर्मियों का सीजन होने के कारण चीनी में मांग बनी रहने की उम्मीद है। महाराष्ट्र की चीनी मिलों में पेराई बंद हो गई है।
सरसों के भाव हल्का सुधार आ सकता है, मलेशिया में पाम तेल के दाम तेज खुले हैं, लेकिन शिकागो में सोया तेल मिलाजुला रुख है। जानकारों के अनुसार उत्पादक राज्यों में सरसों की दैनिक आवकों में आगे कमी आयेगी, क्योंकि नीचे दाम पर स्टॉकिस्ट बिकवाली कम कर रहे हैं। ऐसे में सरसों की कीमतों में ज्यादा मंदे के आसार नहीं है। सरसों तेल के भाव 5 रुपये कमजोर हुए जबकि खल के दाम भी रुक गए।
घरेलू बाजार में खाद्वय तेलों के भाव में पांच रुपये कमजोर खुले हैं। हालांकि मलेशिया में अगस्त महीने के पाम तेल वायदा अनुबंध के दाम 45 रिगिंट तेज होकर भाव 3,849 रिगिंट प्रति टन हो गए, लेकिन शिकागो में सोया तेल मिलाजुला रुख है। ऐसे में खाद्वय तेलों भाव में हल्की तेजी बन सकती है।
सोयाबीन के दाम उत्पादक मंडियों में स्थिर हो गए। व्यापारियों के अनुसार घरेलू उत्पादक मंडियों में सोयाबीन की दैनिक आवक बराबर बनी हुई है, जबकि प्लांट जरुरत के हिसाब से ही खरीद कर रहे हैं। ऐसे में हल्का सुधार तो बन सकता है लेकिन बड़ी तेजी के आसार नहीं है। शिकागो में सोयाबीन और सोया तेल में मिलाजुला रुख है जबकि मिल के दाम तेज खुले हैं।
गुजरात में कैस्टर सीड की आवक 1,40,000 बोरियों की हुई, तथा भाव 15 रुपये तेज होकर 1,100 से 1,150 रुपये प्रति 20 किलो हो गए।
घरेलू बाजार में कॉटन की कीमतें स्थिर हो गई। उधर विदेशी बाजार में गुरूवार को कॉटन के भाव तेज होकर बंद हुए थे, लेकिन आज इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग में दाम कमजोर खुले हैं। जानकारों के अनुसार घरेलू बाजार में स्पिनिंग मिलों के पास कॉटन का बकाया स्टॉक कम है, अत: मिलों को कॉटन की खरीद करनी होगी। लेकिन इसकी कीमतों में तेजी, मंदी आईसीई कॉटन वायदा के दाम पर ही निर्भर करेगी।
बिनौला एवं कपास खली के भाव में हल्का सुधार आया है, व्यापारियों के अनुसार नीचे दाम पर बिकवाली कमजोर है, इसलिए मौजूदा कीमतों में हल्का सुधा और भी बन सकता है। वैसे भी उत्पादक मंडियों में कपास की दैनिक आवकों में कमी आने से तेल मिलों की बिक्री भी कमजोर है। इसलिए कीमतों में ज्यादा मंदे के आसार नहीं है
ग्वार सीड और ग्वार गम के दाम नरम हुए हैं। व्यापारी ग्वार गम और सीड में बड़ी तेजी के पक्ष में नहीं है लेकिन स्टॉकिस्ट दाम तेज करना चाहते हैं। ग्वार गम उत्पादों में निर्यात मांग सामान्य बनी हुई है तथा प्लांटों के पास बकाया स्टॉक ज्यादा है। चालू सीजन में मानसूनी बारिश सामान्य होने का अनुमान है। हालांकि उत्पादक मंडियों में पहले की तुलना में ग्वार सीड की दैनिक आवकों में कमी आई है।